Description
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100% Pure Hand Made Kankrej Deshi Cow Ghee prepared in Clay Pots Traditionally. Best Ghee for our growing child.
वैदिक बिलौना गोघृत बनाने में हम भारतीय पारम्परिक तरीके का प्रयोग करते हैं, पारंपरिक तरीके में हम पहले दूध निकालकर उसे मिटटी के बर्तन में गर्म करते हैं, फिर मिटटी के बर्तन में ही उसका दही जमाते हैं, और फिर उस दही को धीमी गति से मथकर मक्खन निकाला जाता है, और अंततः उस मक्खन को मिटटी के बर्तन में ही उपलों की धीमी आंच पर गर्म करके घी बनाया जाता है, इस तरीके से तैयार गोघृत की गुणवत्ता में मिट्टी के सभी गुण समाहित हो जाते हैं, और हमारे शास्त्रों में औषधीय प्रयोग के लिए इसी पद्धति से तैयार गोघृत का वर्णन किया गया है,
गोघृत एक ऐसा अमृत है जो बच्चे, युवा एवं वृद्ध तीनो के लिए उत्तम औषधि है।
आज गाय के घी के महत्व को जानकर बाजार में विभिन्न प्रकार की ब्रांड आ गयी है। परंतु चमक दमक के अतिरिक्त गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की क्षमता कुछ ही लोगो मे है।
- देसी गाय का घी ही क्यों?*
– बच्चो के लिए स्वस्थ जीवन सुनिश्चित कीजिये
बचपन मे शरीर को बढ़ने के लिए फैट (वसा) आवश्यक है और उसकी मांग शरीर कैसे पूरी करें यह माता-पिताओं को निर्धारित करना है। जैसे कोई प्यासा पानी की ओर लपकता है वैसे ही सही फैट जैसे गोघृत, देसी गाय का मक्खन आदि न मिले तो बच्चा बाजार के घटिया फैट (चिप्स, बिस्किट) की ओर जाता है क्योंकि शरीर अपनी फैट की प्यास को किसी न किसी तरह से बुझायेगा। यदि माता पिता उनको सही फैट से वंचित रखते है तो यह आगे चलकर उनके लिए अभिशाप साबित होता है।
– सर्दी ज़ुकाम, खांसी जैसी बीमारियों में यह घी गर्म कर छाती और पीठ पर मालिश करने से तुरंत लाभ मिलता है।
– सामान्य रूप से यदि कोई बीमारी नही है तो नाभि में भी प्रतिदिन यह घी डाल सकते है जिस से नाभि पुष्ट होकर डिगती नही है और नाभि डिगने के कारण होने वाले 40 पित्त के रोग नही होते।
- तो क्या करें?*
– हॉर्लिक्स, बॉर्नविटा, Health insurance, डॉक्टर, बीमारी, बाहर का खाना आदि पर जो खर्च करते है इतने महंगे imported ओलिव आयल को प्रयोग करते है जो हमारे किसी काम का नही।
– यह सब बंद कर बच्चो को गाय का घी (दूध में फेंटकर, सब्ज़ी में डालकर, घी शक्कर, हलवा, गुलगुले, पराँठा, पूरी आदि बनाकर) खिलाये और उन्हें एक स्वस्थ जीवन देने का आधार रखें।
– यदि संभव हो तो देसी गाय का दूध लेकर उसको बिलोकर मक्खन निकालकर (मलाई एकत्रित करने वाली पद्धति गलत है) उसका घी बनायें और प्रतिदिन खाये। परंतु यदि यह संभव नही हो तो हमारे द्वारा तैयार इस गौघृत की व्यवस्था करें। जिस से गोपालकों की जीविका चले औऱ गाय पुनः घरों में बंधे।
अतः हम किसी भी स्थित में इसकी गुणवत्ता के साथ समझौता नही करते।
यह घृत पूर्णतः वैदिक पद्धति के अनुसार बन रहा है। गर्भवती महिलाएं सामान्य प्रसव के लिए, पित्त के रोगी, हृदयरोग के लिए, बच्चो की मालिश, उनके मस्तिष्क और शरीर के विकास एवं संतुलित कफ वाले बच्चो के निर्माण में यह घृत वरदान है।
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